कहां रह गए
इस मझदार में
बड़े ईमानदार से
बनते थे ,
हमें तुम समझदार से लगते थे
तुम भी वही थे
जिसके हिस्से के हम जबरदस्ती से
साझदार बने फिरते थे ।

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