ओ मेरी महजबीं मेरी महरू
तू होती है जब मुझसे रुबरु ,
खिल उठता है मेरा हर एक रूह
याद आते हैं प्यार के वो पहलु
जब मेरी माशूका मेरी मदनु ,
चारों ओर थी बस तू ही तू । 💕

Comments

Popular posts from this blog